रायपुर अंबेडकर अस्पताल में अब चाय भी नहीं होगी नसीब, 30 सितंबर से बंद होने वाला है कैंटीन, जानिए वजह…

राजधानी रायपुर मेकाहारा स्थित पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज में संचालित कैंटीन जो काफी प्रयासों के बाद खुला वो अब फिर 30 सितंबर को बंद होने वाला है। कैंटीन संचालक का कहना है कि इसका किराया 95000/- (पंचानबे हजार) और बिजली बिल मिला कर 1 लाख से भी ज्यादा किराया है जो कि रायपुर के प्रीमियम लोकेशन का भी नहीं होता। 1 लाख किराया देकर किसी भी हालत में कैंटीन नहीं चलाया जा सकता। उन्होंने कहा कि मैनेजमेंट ने बीच में कम करके 45 हजार महीना कर दिया गया उसमे मैं चलाने लगा, पर बढ़ाकर 1 लाख से ऊपर कर दिया। हास्पिटल मैनेजमेंट से काफी बार बात करने के बाद भी कम नहीं किया जा रहा है।

क्या है नियम  – आपको बताते चलें कि नेशनल मेडिकल कमीशन/ मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया का नियम है। मेडिकल कालेज एवं हास्पिटल में कैंटीन होना आवश्यक है, जिससे कि वहां के मेडिकल स्टूडेंट, रेसिडेंट डाक्टर्स, मरीज और मरीजों के परिजनों को खाना-नाश्ता मिल सके। एनएमसी के हिसाब से तो 24 घंटे संचालित कैंटीन होना चाहिए, क्योंकि अंबेडकर अस्‍पताल में 24 घंटे रेजिडेंट डाक्टर्स काम करते हैं और मरीज और उनके परिजन आते हैं। रात में चाय तक नसीब नहीं होती। दूसरे गवर्नमेंट हास्पिटल जैसे एम्‍स या मेडिकल कालेज में कैंटीन को सब्सिडी दी जाती है, जिससे वो मरीजों और मेडिकल स्टाफ को कम रेट में गुणवत्ता युक्त नाश्ता उपलब्ध करवा सके। कोई 1 लाख किराया देकर कैसे अच्छा नाश्ता उपलब्ध करवा सकता है।

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