संबंध की जिद ने ली थी अभिषेक की जान.. प्रेमिका ने लाश दफनाकर ऊपर उगा दी थी गोभी…

दुर्ग।। वो अपनी एक्स पर शादी के बाद भी संबंध बनाने के लिए लगातार दबाव बना रहा था. वो रसूखदार शख्स अपनी एक्स को किसी हाल में नहीं छोड़ना चाह रहा था. इससे तंग आकर एक्स ने वो कदम उठा लिया, जिसके बारे में सोचकर आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. हम बात कर रहे हैं भिलाई के चर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड की।

आखिर क्या था ये मामला जिसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी ? आखिर क्यों ये मर्डर केस नेशनल मीडिया की सुर्खियां बना ? आखिर क्यों दहला दिया था इस हत्याकांड ने ?

एक नजर में घटनाक्रम-

नवंबर की गुलाबी सर्दी में भिलाई के शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज के चेयरमैन आईपी मिश्रा के इकलौते बेटे अभिषेक मिश्रा के अपहरण की बात जंगल में आग की तरह फैलती है. 9 नवंबर 2015 को अभिषेक अपने घर से किसी काम से निकलता है, लेकिन काफी देर तक वापस नहीं आता. घरवालों को चिंता होती है. कई जगह पता लगाने के लिए कॉल भी किया जाता है।

परिजन बेचैन, पुलिस परेशान

जब 10 नवंबर को भी अभिषेक नहीं लौटता, तो इसकी सूचना पुलिस को दी जाती है. हाईप्रोफाइल फैमिली से जुड़े इस मामले को लेकर दुर्ग-भिलाई पुलिस के अलावा आसपास के सभी जिलों में पुलिस को अलर्ट कर दिया जाता है. पुलिस की दर्जनभर टीम अभिषेक की तलाश में कई राज्यों का दौरा करती है. माना जा रहा था कि कहीं ये अपहरण के बाद वसूली का मामला तो नहीं, लेकिन समय बीतता गया और अभिषेक के परिजनों के पास किसी तरह के डिमांड वाला कॉल नहीं आया. पुलिस भी लगातार कॉल डिटेल से लेकर हर इनपुट पर काम कर रही थी, लेकिन कुछ ठोस हाथ नहीं लग रहा था।

पुख्ता सबूत के लिए भटकती रही पुलिस

धीरे-धीरे एक हफ्ता, दो हफ्ता गुजरा. परिजनों का धैर्य भी जवाब देने लगा. सभी किसी अनहोनी की आशंका में डूबने लगे. पुलिस जब व्यापार, फिरौती, रंजिश तमाम एंगल से तफ्तीश कर चुकी और कामयाबी नहीं मिली, तब उसने अभिषेक के निजी जीवन के कुछ पन्ने पलटने शुरू किए. मोबाइल कॉल डिटेल खंगालने पर कुछ क्लू तो हाथ लगे, लेकिन कोई पुख्ता सबूत हाथ नहीं लग रहा था।

44 दिन बाद मिली अभिषेक की लाश

आखिरकार वारदात के 44 दिन बाद पुलिस ने विकास और अजीत नाम के दो शख्स को संदेह के आधार पर हिरासत में लिया. लंबी पूछताछ में दोनों ने अभिषेक की हत्या करने की बात कबूल कर ली. अगले दिन स्मृति नगर स्थित एक मकान के गार्डन से अभिषेक की लाश बरामद कर ली जाती है।

घर में दफना दिया था शव

हत्यारों ने अभिषेक की हत्या करने के बाद उसे स्मृति नगर के घर के गार्डन में दफना दिया था. इस वारदात को इतने शातिराना अंदाज में अंजाम दिया गया था कि लोगों को ये किसी फिल्म की पटकथा जैसी लग रही थी. अभिषेक की हत्या के पहले ही जिस जगह पर गढ्ढे खोदे गए थे, उसे दफनाने के बाद उसके ऊपर फूल गोभी के पौधे रोप दिए गए, जिससे किसी को शक ना हो. लेकिन लगातार कॉल डिटेल और कुछ पुराने प्रसंगों को जोड़कर पुलिस ने जांच की सुई इस ओर घुमाई और इस बेहद चर्चित कांड से पर्दा उठ सका।

शादी के बाद भी संबंध बनाने का दबाव बनी वजह !

इस वारदात में कहीं न कहीं लव, सेक्स और धोखा का एंगल जुड़ता है. दरअसल किम्सी जैन नाम की महिला अभिषेक के इंजीनियरिंग कॉलेज में कुछ साल पहले नौकरी करती थी. इसी दौरान अभिषेक और किम्सी करीब आ गए. लेकिन इस बीच किम्सी की शादी विकास जैन से हो गई और उसने शंकराचार्य कॉलेज का जॉब छोड़ दिया, लेकिन अभिषेक इसके बाद भी किम्सी पर संबंध रखने के लिए दबाव बना रहा था।

लाश दफनाकर उगा दी थीं सब्जियां

संबंध रखने के दबाव से तंग आकर किम्सी ने अपने पति विकास और ससुर अजीत के साथ मिलकर अभिषेक को खत्म करने का प्लान बनाती है. इसी साजिश के तहत 9 नवंबर की शाम किम्सी, अभिषेक को कॉल कर स्मृति नगर आने के लिए कहती है. यहां पहले से मौजूद विकास और अजीत एक रॉड से हमला कर अभिषेक की बेरहमी से हत्या कर देते हैं, फिर लाश वहीं जमीन में दफनाकर चलते बनते हैं. आरोपियों ने बेहद ही शातिराना अंदाज में लाश को गाड़कर उसके ऊपर सब्जियां उगा दी थीं. पुलिस ने लाश के पास हाथ का कड़ा, अंगूठी और लॉकेट देखकर अभिषेक मिश्रा की लाश होने की पुष्टि की थी. लाश का डीएनए टेस्ट भी कराया गया था।

शंकराचार्य ग्रुप ऑफ कॉलेज के डायरेक्टर अभिषेक मिश्रा के मर्डर की गुत्थी 9 नवंबर से 44 दिनों के बाद दिसंबर 2015 को खुली. इसके बाद किम्सी जैन, उसके पति विकास जैन और ससुर अजीत को गिरफ्तार कर लिया गया. आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद लगातार इस मामले की जांच की गई और जांच पूरी होने के बाद इसे दुर्ग न्यायालय में प्रस्तुत किया गया. करीब 5 साल तक यह मामला दुर्ग जिला न्यायालय में चल रहा था. पूरी जांच और गवाही होने के बाद अब दुर्ग जिला कोर्ट 9 अप्रैल को फैसला सुना सकता है।

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