ज्यादा मिल गए 48 लाख रुपए, मनमाना किया खर्च अब हों रही जांच
कुसमी।।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC Kusmi) कुसमी परिसर में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य उन्नयन योजना के तहत करीब 23 लाख की लागत से 3 वर्ष पूर्व ओपीडी भवन का निर्माण शुरू हुआ था।
इसी बीच गलती से दो बार में 48 लाख रुपए और स्वीकृत हो गए। इस राशि को मनमाना ढंग से खर्च किया गया। मामला सामने आने पर कलक्टर ने एसडीएम को जांच का जिम्मा सौंपा है।
गौरतलब है कि ओपीडी भवन निर्माण एजेंसी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग कुसमी को बनाया गया था। विभागीय उदासीनता एवं ठेकेदार की लापरवाही के कारण भवन का निर्माण काफी धीमी गति से हो रहा है।
इस बीच एनआरएचएम मद से उस भवन के ऊपर तल में 15 लाख की लागत से दूसरे भवन का निर्माण शुरू हो गया है। नीचे के तल पर बन रहे ओपीडी भवन निर्माण के लिए शासन द्वारा त्रुटिवश या गलत जानकारी के आधार पर 23 लाख की बजाय इससे 3 गुना अधिक राशि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुसमी के आरएसबीवाई खाते में अलग-अलग कर जारी कर दी गई।
भवन निर्माण 23 लाख में पूर्ण हो जाना था। लेकिन 23 लाख की जगह करीब 80 लाख रुपए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को शासन से प्राप्त हो गए। पहली बार जारी हुई राशि से तो भवन का निर्माण हुआ लेकिन उसी भवन निर्माण के लिए गलती से दो बार अतिरिक्त प्राप्त हुए करीब 48 लाख रुपये को बीपीएम द्वारा बीएमओ सहित अन्य अफसरों को अंधेरे में रखकर मनमाने तरीके से खर्च कर दिए गए।
जब देर से शासन को इस गलती का एहसास हुआ तो उक्त राशि का हिसाब मांगा जा रहा है। अब हिसाब देने में कुसमी बीपीएम के पसीने छूट जा रहे हैं। राशि वापसी के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुसमी के तत्कालीन बीएमओ और बीपीएम को शासन द्वारा पत्र भेजा गया है।
एसडीएम कर रहे जांच
इस पर बीपीएम निर्दोष तिर्की द्वारा उक्त राशि को विभिन्न कार्यों में खर्च करना बताया जा रहा है, जबकि तत्कालीन बीएमओ सेवानिवृत्त हो चुके हैं। कलक्टर ने मामले की जांच के लिए एसडीएम कुसमी के नेतृव में टीम गठित की है, लेकिन अब तक जांच पूरी नही हो पाई है।
चल रही है जांच
स्वास्थ्य विभाग में शासकीय राशि की अनियमिता की जांच जारी है। इससे संबंधित दस्तावेजों को भी जब्त कर जांच की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी।
दीपक निकुंज, एसडीएम, कुसमी
बीपीएम ने खर्च की है राशि
बीपीएम द्वारा ही राशि खर्च की गई हैं। मैं इसका बिल नोट सीट आदि देखने के बाद ही बता सकूंगा कि उसमें मेरे हस्ताक्षर हैं या नहीं।
डॉ. टी साय, पूर्व बीएमओ