फर्जी दस्तावेज तैयार कर आदिवासी किसान के नाम से बेचा 837 क्विंटल धान

प्रबंधक ने 15 लाख रुपए बैंक से मिलीभगत कर निकाल ली राशि

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सूरजपुर।।जिला मुख्यालय सूरजपुर आदिमजाति सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक द्वारा आदिवासी किसान को बगैर सूचना दिए 837 क्विंटल धान आदिवासी किसान का धान कागजों में किसान के नाम से धान बेचकर समिति प्रबंधक और बैंक कर्मचारी द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार करके गलत तरीके से लगभग 15 लाख से अधिक रुपये राशि आहरण करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है।

जानकारी के मुताबिक आदिमजाति सेवा सहकारी समिति सुरजपुर के पंजीकृत किसान कपिल आत्मज दल्लू राम जाति गोड़ आदिवासी ह। जो कि ग्राम नयनपुर निवासी है। किसान का कोड जि 3900160101422 है। कपिल के 3 भाई है रामेशवरए अमीन है इसके साथ ही इनके परिवार है जो खाता धारक है। जिनका नाम मोहित आत्मज शुखई रन साय शोभित है। जिनके भूमि कम होने के कारण मौखिक हिस्सा हो चुका है।

समिति आज तक नहीं गए है। ये आदिवासी परिवार एक निधन परिवार है। बनी मजदूरी करके व रोजगार गारंटी में कार्य करके जीवन यापन करते है। खाताधारक कपिल के भाई रामेश्वर धान बेचने की बातों पर कहते है कि हम आज तक धान समिति में पंजीयन तक नहीं कराया है। हमारे घर में धान की उपज ही नही होती है। आगे कहते हैं कि हमने ना तो कभी बैक के मुंह देखे है ना ही सोसायटी गए है। आगे कहते हैं कि घर मे धान उपज बम्पर पैदा वार होता तो शासकीय उचित मूल्य की दुकान पर आश्रित नही होते।

बल्कि घर का धान ही चक्की में कुंटवा कर खाते। आगे कहते है कि हमने समिति में पंजीयन कराने के लिए कोई भी दस्तावेज नहीं दिए हैं। हमें तो जानकारी भी नहीं है। कहते हैं कि कहा कि धान की फसल केवल कुछ चवर में हुआ था। जिससे 10 क्विटल टोटल धान हुआ था। जब खाताधारक के भाई और पंजीयन की बात से इंकार करते हुए धान नही बेचने की बात कही है। साथ घर के खाने के लिए धान कम पड़ने व कि हमे आपके द्वारा धान बेचने की सूचना मिली है।

हम पैसे के अभाव में जमीन अलग पट्टा नहीं करवा पाए है तो धान बेचने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। आगे कहते हैं कि हम और हमारे भाई कपिल साथ में ही रहते है। ये हमारा पैरा देखिये हम खाने के लिए धान को उपज नहीं कर पाए है तो बेचने का सवाल ही पैदा नही होता है। अगर किसी ने बेचा है तो हमें जानकारी नहीं है। ना तो हमें एक रुपये पेसे किसी से मिला है। हमारा जीवन तो दुसरों के घरों में मजदूरी करके चलता है। जब इस सम्बन्ध में खाता धारक कपिल से बात की गई तो कपिल ने कहा कि हमारे यहां धान की उपज ही नहीं हुई है। हमने धान नहीं बेचा था।

धान समिति प्रबंधक मोहन राजवाड़े ने हमसे पट्टा अलग करवाने की बातें कह कर जमीन सबंधित दस्तावेज की मांग की गई थीं। जिसे हमने दिया है। जबकि हमने धान नही बेचा है।

जब हमने दिनांक 4,16, 23 दिसम्बर 2020 में धान 837 किवंटल धान बिक्री करने की बात बताया तो अचंभित होते हुए सोसायटी में धान नही पहुँचाना कहा है। सरकार द्वारा समर्थन मूल्य में राशि 15 लाख 78 हजार रुपये की मोटी रकम आ रहा हमारे घर को देख लो आप क्या स्थिति है। पैरा देखाने लगे और है।

जिसे धान समिति प्रबंधक मोहन राजवाड़े द्वारा कागजों में बेच दिया गया तथा बैंक से मिली भगत करके राशि भी आहरण कर लिया गया है। अगर सरकार बोनस के रूप में राशि देती है, अमीन के घर जाकर बात की तो उन्होंने धान नहीं होना कहा तो धान की राशि 20 लाख 92 हजार रुपये आएगा जो सोसायटी प्रबंधक व बैंक मैनेजर डकार लेंगे। जबकि सैकड़ों मूल किसान जो अपना धान की ब्रिकी करना सुरजपुर समिति पीडीएस चावल पर आश्रित रहने की बात कही है। उन्होंने कहा में करना चाहते है। जो महीनों से धान बितक्री के टोकन के लिए महीनों से समिति दफ्तर के चक्कर काटने को मजबूर हैं।

बता दें कि उक्त प्रबंधक मोहन राजवाड़े को गत वर्ष की खरीदी में भारी गड़बड़ी की शिकायत पर प्रशासन ने हटाया गया था और लगभग 8.9 लाख रुपये की रीकवरी भी प्रशासन ने मोहन राजवाड़े से की थी किंतु पुनः इस वर्ष का धान खुरीद प्रभारी नियुक्त करने से जिला प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध नज़र आ रही है। जब इस संबंध में नयनपुर पटवारी खेमराज सिंह से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि किसान का रकबा तो है पंजीयन के लिए किसान के साथ कुछ लोग आए थे। पंजीयन के लिए समिति को भेज दिया गया था किंतु पटवारी पास धान के रकबे का सत्यापन के लिए आता है किन्तु इस रकबा का सत्यापन के लिए नहीं आया है। सूरजपुर एसडीएम पुष्पेंद्र शर्मा ने कहा कि आपके द्वारा जानकारी मिली है। जांच करके तथ्य एकत्रित करके कार्यवाही की जाएगी।

By पंचायत समीक्षा न्यूज़ -PSN

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