बीजेपी में कार्यकर्ताओं की नाराजगी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती

रायपुर।।छत्तीसगढ़ में बीजेपी को लंबे समय बाद विपक्ष में आने के बाद कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. सत्ता जाने के बाद अपने ही कार्यकर्ताओं की नाराजगी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. वहीं अब पार्टी की प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने अलग-अलग दौर की बैठकें लेकर सभी प्रकोष्ठ और मोर्चा पदाधिकारियों को जवाबदारी भी सौंप दी है. साथ ही भारतीय जनता युवा मोर्चा को लेकर पार्टी ने नया फॉर्मूला बनाया है. इसके तहत 35 वर्ष से कम उम्र के युवाओं को ही भाजयुमो में शामिल किया जा रहा है. इसके चलते प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के महीनों बाद भी जिलों में बॉडी नहीं बन पाई है. इसे लेकर राजनीतिक विश्लेषकों ने भी चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि पार्टी को उम्र के साथ ही एक्टिवनेस पर ध्यान देना जरूरी है।

29 जिलों में बीजेपी को नहीं मिल रहे हैं जिला अध्यक्ष

भारतीय जनता पार्टी को छत्तीसगढ़ में सरकार के खिलाफ मुखर होकर लड़ने के लिए अब युवा फौज की जरूरत है. यही वजह है कि बीजेपी ने युवा मोर्चा के लिए अब 35 साल की उम्र सीमा का क्राइटेरिया तय कर दिया है. हालांकि इस पैमाने को पूरा करने के लिए पार्टी को दिक्कत हो रही है. लेकिन पार्टी का यह तर्क सामने आया है कि विपक्ष में होने के कारण अनुभवी और तेजतर्रार युवाओं की जरूरत है. हालांकि, इस क्राइटेरिया के चलते भारतीय जनता युवा मोर्चा को 29 जिलों में जिलाध्यक्ष के लिए योग्य युवा नहीं मिल पा रहे हैं।

केवल अध्यक्ष ही नहीं बल्कि पूरी टीम भी बनाना बड़ी चुनौती

भारतीय जनता युवा मोर्चा के लिए पार्टी आलाकमान की ओर से 35 साल का नियम आने के बाद पार्टी में युवा चेहरों को सामने लाकर पद देने की बड़ी चुनौती है. केवल जिलाध्यक्ष ही नहीं बल्कि उपाध्यक्ष, महामंत्री समेत मिलाकर 24 से ज्यादा पदाधिकारी और करीब 40 सदस्य चाहिए. हर जिले में 35 से कम उम्र के कई दावेदार हैं. इनमें पार्टी के साथ ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े लोगों के नाम भी हैं. उम्र सीमा तय होने के कारण लंबे समय से युवा मोर्चा से जुड़े कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी अब बाहर हो रहे हैं।

भाजपा हमेशा नए चेहरों को देती है मौका’

बीजेपी के वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा से पार्टी में नए प्रयोग करती रही है. वह खुद 20 साल की उम्र से ही पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, अब पार्टी ने नये खून को मौका देकर आगे लाने का निर्णय लिया है. जो कि स्वागत के योग्य है. रॉ मटेरियल के रूप में काम करने वाले तमाम युवाओं को बड़े पदों पर मौका मिलेगा. जिससे पार्टी में नये एनर्जी के साथ काम करने वाले युवाओं की फौज तैयार होगी. नए टैलेंट सामने आएंगे. साथ ही पार्टी में सेकंड लाइन भी तैयार होगी।

पार्टी के अपने फैसले, लेकिन 35 साल में युवा प्रौढ़ नहीं’

बीजेपी के लिए 35 साल की गाइडलाइन तय होने को लेकर राजनीतिक विश्लेषक शशांक खरे कहते है कि यह भाजपा के अपने निजी फैसले हो सकते हैं. लेकिन राजनीतिक तजुर्बों में 35 साल की उम्र ज्यादा नहीं होती है. पार्टी को ऐसा लगता होगा कि 35 साल से कम उम्र के युवाओं को मौका देने से पार्टी में एक नई ताजगी आ जाएगी. इसका मतलब यह भी नहीं कि पुराने लोग खराब हैं. 35 साल की उम्र में कई युवा ऐसे हैं. जो भाजयुमो में अच्छे और एक्टिव होकर काम कर रहे हैं. कई चेहरे जो लंबे समय से भाजयुमो में काम करते रहे हैं. अब एकदम से इस क्राइटेरिया से बाहर हो जाएंगे. ऐसे में पार्टी को इन चेहरों के जाने से नुकसान भी हो सकता है।

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