मंद बुद्धि ग्रामीण को अपना पिता बताकर युवक ने 3 एकड़ 63 डिसमिल जमीन दूसरे के नाम करा दी रजिस्ट्री

अंबिकापुर।।मंद बुद्धि ग्रामीण को अपना पिता बताकर उसकी तीन एकड़ 63 डिसमिल जमीन गांव के ही एक युवक ने फर्जी तरीके से दूसरे के नाम पर रजिस्ट्री (Land Registry) करा दी। इसकी जानकारी घर वालों को उस समय हुई जब नामांतरण के लिए दस्तावेज लुण्ड्रा तहसील पहुंचा और तहसील द्वारा पीडि़त परिवार को इसकी जानकारी दी गई।

पीडि़त परिवार ने इसकी रिर्पोट रघुनाथपुर थाने में दर्ज कराई है। अब पीडि़त परिवार न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है। शनिवार को पीडि़त परिवार ने इसकी शिकायत (Complaint) एसपी व कलेक्टर से भी की है।

लुण्ड्रा थाना क्षेत्र के गाम लमगांव रमेश पटेल पिता स्व. देवशरण पटेल 54 वर्ष शुरू से मंद बुद्धि है। इसका फायदा उठाते हुए गांव के ही सूरज पटेल 23 दिसंबर को रमेश को कार में बैठाकर अंबिकापुर लाया और धोखाधड़ी कर अंबिकापुर निवासी सुभाष अग्रवाल के नाम 3 एकड़ 75 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री पेपर पर साइन करवा दिया।

इसकी जानकारी पीडि़त परिवार को नहीं दी गई। नामांतरण के लिए सुभाष अग्रवाल ने लुण्ड्रा तहसील में दस्तावेज लगाया तो इसकी जानकारी पीडि़त परिवार को हुई। दस्तावेज देखने के बाद पता चला कि ११ लाख रुपए में सारी जमीन की रजिस्ट्री करा दी गई है और रमेश को एक रुपए भी नहीं दिए गए हैं।

रमेश की पुत्री मोहनी पटेल ने इसकी शिकायत रघुनाथपुर चौकी में भी की है। मोहनी ने आरोप लगाया है कि शिकायत के बाद भी पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

अपना पिता बनाकर लाया था
सूरज पटेल गांव का ही व्यक्ति है। वह अपनी जमीन बेचने की बात कहकर रमेश को पिता बनाकर लाया था। रमेश को क्या पता था कि उसकी खुद की जमीन की रजिस्ट्री हो रही है।

सूरज ने रमेश को कहा था कि रजिस्ट्री ऑफिस में जब पूछा जाएगा तो बता देना कि मैं तुम्हारा बेटा हूं। मामले का खुलासा होने पर सुभाष अग्रवाल ने पीडि़त परिवार को बताया कि 25 लाख में सौदा किया है, जबकि रजिस्ट्री 11 लाख की है।

नामांतरण के दौरान चला पता
रमेश पटेल का एक बेटा व एक बेटी है। बेटी मामले की शिकायत करने एसपी व कलेक्टर से करने शनिवार को पहुंची थी। उसने बताया कि जमीन फर्जीवाड़े (Land Fraud) की जानकारी तहसील कार्यालय लुण्ड्रा से मिली।

सुभाष अग्रवाल ने नामांतरण के लिए आवेदन लगाया तो तहसील कार्यालय (Tehsil Office) से इसकी जानकारी पीडि़त परिवार को दी गई और सहमति मांगी गई। जानकारी होते ही पीडि़त परिवार के पैरों के नीचे जमीन खिसक गई।

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