Breaking news :मैनपाट के पर्यटन स्थलों पर शुल्क वसूली अवैध, लगाई गई रोक…
अंबिकापुर।। मैनपाट।।छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल मैनपाट के टाइगर पाइंट,जलजली और उल्टा पानी में वाहन पार्किंग सहित दूसरी मूलभूत सुविधाओं के एवज में ली जाने वाली शुल्क को तहसीलदार में अवैध करार दिया है। उन्होंने उक्त तीनों स्थल पर वाहन पार्किंग सहित दूसरी सुविधाओं के नाम पर वसूल की जाने वाली शुल्क पर रोक लगा दी है।
वन विभाग को आदेशित किया गया है कि किस आधार पर वसूली की जा रही थी उसकी सारी जानकारी दस्तावेजों के साथ तहसील न्यायालय में उपलब्ध कराई जाए। तहसीलदार के इस आदेश के बाद सैलानियों को मैनपाट के पर्यटन स्थलों में वाहन पार्किंग शुल्क नहीं देना पड़ेगा।
इस सीजन में मैनपाट में छत्तीसगढ़ के अलग-अलग क्षेत्रों से सैलानियों के पहुंचने का सिलसिला जारी रहता है। यहां के पर्यटन स्थलों पर स्वयं सहायता समूह के नाम पर कुछ अवांछित तत्व वाहन पार्किंग सहित दूसरी सुविधाओं के नाम पर शुल्क वसूली किया करते थे। यह प्रक्रिया सालों से चल रही थी। समय-समय पर शुल्क वसूली को लेकर सवाल भी उठते थे कि लाखों रुपए की वसूली की उपयोगिता कहां हो रही है और किस अधिकार से अवांछित तत्व शुल्क लिया करते हैं।
बाहर से आने वाले सैलानियों से शुल्क वसूली को लेकर कई बार विवाद की स्थिति भी निर्मित होती थी। विरोध के बावजूद वन विभाग द्वारा कभी भी इस ओर गंभीरता नहीं बरती गई। आरोप है कि समूह के नाम पर वन विभाग ने ही अघोषित रूप से अवैध वसूली का ठेका दे दिया था। लगातार सामने आ रही शिकायतों के मद्देनजर मैनपाट तहसीलदार शशिकांत दुबे ने स्वयं राजस्व अमले के साथ मैनपाट के टाइगर पॉइंट, जलजली और उल्टा पानी क्षेत्र का भ्रमण किया।
यहां शुल्क वसूली करने वालों से दस्तावेजों की मांग की गई कि किस आधार पर वे बाहर से आने वाले लोगों से शुल्क लेते हैं लेकिन संबंधित लोगों द्वारा किसी प्रकार का कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया जा सका। आखिरकार तहसीलदार ने एक आदेश जारी किया है जिसमें उल्लेख किया गया है कि कुछ छद्म व्यक्तियों द्वारा मनमाने तरीके से शुल्क वसूली की जा रही है जिससे न सिर्फ कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो रही है बल्कि शासन प्रशासन की छवि भी धूमिल हो रही है।
इसलिए शुल्क वसूली पर आगामी आदेश तक के लिए रोक लगाई जाती है।उन्होंने रेंजर मैनपाट को आदेशित किया है कि यदि वन विभाग की ओर से समूह अथवा वन प्रबंधन समितियों को ऐसा कोई आदेश दिया गया है तो उसके दस्तावेज तहसील न्यायालय में उपलब्ध कराया जाए ताकि उसका अवलोकन कर आगे निर्णय लिया जा सके।