लिंक की समस्या से ग्रामीण क्षेत्र के किसान हो रहे हैं परेशान

उदयपुर सरगुजा।।
जी हां किसान जैसे पवित्र एवं निर्मल शब्द कहे जाने वाले भावार्थ के अंदर कितने दुख दर्द एवं पीड़ा की व्यथा देखने को मिलती है जिसे बखूबी किसान ही समझ सकता है

फसल उत्पादन से लेकर विक्रय तक न जाने कितनी समस्याओं से जूझता है इसकी परवाह ना तो सरकार को है ना तो समाज को और ना ही किसान के नाम पर बड़ी-बड़ी संगठन बनाकर डिंग हसने वाले लोगों को भला इससे उन्हें क्या लेना देना।

बहर हाल ₹350 की यूरिया किसान 750 से ₹800 तक खरीदी कर धान का उत्पादन किया था और अब जब वह सारी कठिनाइयों को झेलने के बाद धान की अपनी मूल राशि के लिए सहकारी समिति बैंक जाता है तो जनाब देख लीजिए लिंक जैसी अव्यवस्थाओं से पुणे अंतिम बाद किसान को जूझना पड़ता है बैंक अधिकारी यह कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं क्लीनिक नहीं है कोई किसान पूछता भी है कि कब आएगा बदले में उत्तर मिलता है नहीं मालूम
106 गांव वाला विकासखंड उदयपुर के सुदूरवर्ती ग्रामीण किसान अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा लेने जब बैंक पहुंचते हैं तो उन्हें शिवाय निराशा के और कुछ नहीं मिलता

जी हां बैंक को देखिए खिड़की दरवाजे बंद है किसान सुबह 9:00 से 2:00 से 3:00 तक लाइन लगा है परंतु किसी को कोई राशि नहीं दिया गया ऐसे में किसान को यह नहीं मालूम कि वह कब आए कब लिंक रहेगा और कब उन्हें पैसा मिलेगा इसकी उत्तरदाई अधिकारी अथवा जनप्रतिनिधि कोई नहीं है
क्या कोई ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बनाया जा सकता जिससे किसान को हर हालत में वह जिस दिन बैंक पहुंचता है उसे अनिवार्य रूप से पैसा मिलना चाहिए क्या यह सरकार अथवा जनप्रतिनिधियों का दायित्व नहीं बनता?
क्योंकि बाकी सब समस्याओं में वैकल्पिक व्यवस्था तो तत्काल किया जाता है परंतु किसान के समक्ष यह लिंक संबंधी समस्या का समाधान क्या कुछ हो सकता है या नहीं किसान समुदाय जानना चाहता है?

Leave a Reply