सरगुजा संभाग को मिले 167 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी

सरगुजा।।ग्रामीण क्षेत्र में मूलभूत स्वास्थ्य सुविधा के लिए सरगुजा संभाग को 167 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी मिले हैं। इनकी नियुक्ति संविदा आधार पर की गई है। संभाग के सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर,जशपुर और कोरिया जिले के उपस्वास्थ्य केंद्रों के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में इन सभी की पदस्थापना हुई है। सरगुजा जिले में सर्वाधिक 45 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की पदस्थापना की गई है।

इसके अलावा बलरामपुर जिले में 22, जशपुर जिले में 32, सूरजपुर जिले में 35 और कोरिया जिले में 33 की पदस्थापना की गई है। कम्युनिटी हेल्थ आफ नर्सेस का पाठ्यक्रम इसी महीने पूर्ण करने वाले सफल अभ्यर्थियों को कम्युनिटी हेल्थ आफिसर (सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी) के रूप में की गई है। सामुदायिक स्वास्थ्य जागरूकता,जांच और उपचार के लिए इनकी नियुक्ति से संभाग के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिल सकेगी।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संविदा आधार पर की गई इन नियुक्तियों को चालू वित्तीय वर्ष तक के लिए किया गया है। इसके बाद इनके कार्य का मूल्यांकन कर सेवा में वृद्धि किए जाने का प्रावधान किया गया है। सभी को एकमुश्त मानदेय दिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य जागरूकता के अलावा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के रूप में विकसित उपस्वास्थ्य केंद्रों में सभी को पदस्थ किया गया है ताकि गांव वालों को मूलभूत स्वास्थ्य सुविधा गांव में ही मिल जाए।

यह पहला अवसर है जब सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के नाम से नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति की जा रही है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधा को मजबूत करने में बल मिलेगा। छोटी बीमारियो का न सिर्फ उपचार होगा बल्कि स्वास्थ्य जनचेतना में भी ये योगदान देंगे। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की पहल पर सरगुजा संभाग में स्वास्थ्य सुविधाओं की बढोतरी के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

इसी कड़ी में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की पदस्थापना की गई है। उप स्वास्थ्य केंद्रों को स्वास्थ्य सुविधा की प्रारंभिक कड़ी के रूप में माना गया है। यहां यदि प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी तो प्राथमिक,सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज में मरीजों का दबाब कम होगा। इन बड़े अस्पतालों में गंभीर मरीज ही पहुंचेंगे। विशेषज्ञ चिकित्सकों पर ज्यादा दबाब नहीं होगा।

सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की सेवा के लिए कड़े प्रावधान किए गए है। पदस्थापना भी गांवों में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्रों के लिए ही की गई है ताकि ये पहुंच और प्रभाव का इस्तेमाल कर नगरीय क्षेत्र में न आ जाए। मुख्यालय में रहना अनिवार्य किया गया है। इसे सेवा शर्त में ही जोड़ा गया है। उच्चाधिकारी मानते हैं कि गांव में यदि प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करा दी जाए तो ग्रामीणों को बाहर नहीं निकलना पड़ेगा।

स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कर्मचारियों के मुख्यालय में नहीं रहने से गांववालों को होने वाली परेशानियों को देखते हुए ऐसे कड़े प्रावधान किए गए हैं जिसमे यदि सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी को नौकरी करनी है तो उन्हें गांव में रहकर ही सेवा देनी होगी।

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