सीतापुर क्षेत्र की महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना शेखरपुर वृहद जलाशय योजना के निर्माण स्थल को लेकर विरोध हुआ तेज…

सीतापुर क्षेत्र की महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना शेखरपुर वृहद जलाशय योजना के निर्माण स्थल को लेकर विरोध तेज हो गया है। दर्जन भर गांव के लोगो ने इस सिंचाई परियोजना के विरुद्ध मोर्चा खोलते हुए राज्यपाल,मुख्यमंत्री सहित क्षेत्रीय विधायक एवं खाद्यमंत्री अमरजीत भगत के नाम थाने में ज्ञापन सौंप सर्वे कराये जा रहे क्षेत्र की जगह प्रस्तावित स्थल पर बांध निर्माण कराने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर सर्वे कराए गए क्षेत्र की जगह प्रस्तावित स्थल पर बांध का निर्माण नहीं कराया गया तो बांध प्रभावित दर्जन भर गांवों के लोग इसके विरोध में जनांदोलन करेंगे, जिसकी पूरी जबाबदारी शासन-प्रशासन की होगी।

सीतापुर के शेखरपुर में वृहद जलाशय का निर्माण किया जाना है ताकि जशपुर एवं सरगुजा जिले के सिंचाई विहीन क्षेत्रों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराया जा सके। इस परियोजना के तहत बांध निर्माण हेतु जशपुर जिले के ढांडपानी स्थित इब नदी एवं शेखरपुर के मैनी नदी क्षेत्र का सर्वेक्षण पश्चात बांध निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। आरोप है कि निर्माण एजेंसी यहां सर्वे कराने के बजाए सरगुजा के सरहदी गांव ढोंढ़ागाव, शिवनाथपुर, पेटला, ठूठआमा से होकर बहने वाली मैनी नदी क्षेत्र का सर्वे करा रही है ताकि यहां बांध का निर्माण कराया जा सके।

दरअसल शेखरपुर जशपुर जिले का गांव है और इसी गांव के नाम से इस योजना का नामकरण किया गया है जिसके तहत यहां से होकर बहने वाली मैनी नदी पर यह बांध बनना प्रस्तावित है किंतु निर्माण एजेंसी यहां से 40 किलोमीटर दूर सरगुजा जिले के सरहदी गांव ठूठीआमा नामक जगह पर बहने वाली मैनी नदी पर बांध बनाना चाहती है। इस बांध के यहां बनने से ढोढागांव शिवनाथपुर पेटला केरजु, कुनमेरा, सरगा, गेरसा कठबुड़ा, आरा, घासीडीह, वंशीपुर हरदीसाड़ डुबान क्षेत्र में आ जायेंगे।लोगों को विस्थापन का दर्द झेलना पड़ेगा।

चूंकि यह क्षेत्र विशुद्ध आदिवासी बहुल क्षेत्र है जिनकी जीविका प्राकृतिक वन संपदा एवं पुश्तैनी भूमि से प्राप्त उपज के बदौलत चलती है वे सारे बांध की वजह से नष्ट हो जायेंगे।आय का कोई और जरिया नही होने से इनके समक्ष भूखों मरने की नौबत आ आ जाएगी। इसके अलावा पुराने धार्मिक स्थल,संस्कृति एवं प्राचीन धरोहर भी विलुप्त हो जाएंगे। ग्रामीण इसी बात का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस बांध निर्माण से पूर्व ग्रामीणों का पक्ष जानने न आमसभा की गई न ही ग्राम पंचायतों से ग्रामसभा का प्रस्ताव लिया गया।

बगैर किसी प्रस्ताव के बिना पक्ष सुने ही हथियारबंद लोगो को साथ लेकर निर्माण एजेंसी सर्वे करा रही है जिससे ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। इस संबंध में छह ग्राम पंचायतों के सरपंच एवं दर्जन भर गांवों के लोगों ने बांध निर्माण के विरुद्ध राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम थाने में हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौंपा और लोकहित को ध्यान में रखते हुए बांध निर्माण पर रोक लगाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर सरकार हमारी मांगो पर गंभीरता से विचार नही करती है तो मजबूरन हमे आंदोलन का रुख अख्तियार करना पड़ेगा जिसकी पूरी जबाबदारी शासन-प्रशासन की होगी। इस अवसर पर अधिवक्ता संतोष गुप्ता, बाबूलाल, टापूनाथ सहित पंचायत प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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