नासा ने रचा इतिहास: Parker Solar Probe ने सूर्य के वायुमंडल में कर लिया प्रवेश…

नई दिल्ली।।अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में और मानव इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब इंसानों द्वारा बनाया गया कोई यान सूरज के वायुमंडल में पहुंचा हो. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के Parker Solar Probe ने सूरज के ऊपरी वायुमंडल को छू लिया है. यह यान वहां तक सफलतापूर्वक पहुंच गया है. सूरज के ऊपरी वायुमंडल को कोरोना (Corona) कहते हैं. यहां से उसने सूरज के कणों और चुंबकीय क्षेत्र से संबंधित आंकड़ें जुटाएं हैं. लेकिन यान सूरज के सबसे नजदीक नहीं पहुंचा है. इसे अभी सूरज के सबसे नजदीक पहुंचना बाकी है।

खुशी की बात ये है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई यान सूरज के इतने करीब पहुंचा है, लेकिन पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) को सबसे ज्यादा नजदीक पहुंचना बाकी है. इस साल के शुरुआत में ही पार्कर यान ने कोरोना के अंदर जाकर और निकल गया था. यह यात्रा बेहद छोटी थी. तब उसकी दूरी सूरज की सतह से 1.33 करोड़ किलोमीटर थी. 14 दिसंबर को नासा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि उनका यान सूरज के कोरोना में प्रवेश करने में सफलता हासिल कर चुका है. यानी पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) अब कोरोना के ज्यादा अंदर पहुंचा है. फिलहाल सूरज की सतह से उसकी दूरी करीब 79 लाख किलोमीटर है. लेकिन सबसे नजदीक पहुंचने में पार्कर यान को अभी चार साल का इंतजार करना होगा।

पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) साल 2025 में सूरज की सतह से बेहद करीब होगा. इस समय सूरज के सतह से इसकी दूरी करीब 61.15 लाख किलोमीटर होगी. इसके बाद इस यान का क्या होगा… ये न तो नासा ने बताया है, न ही किसी अन्य खगोलविद ने भविष्यवाणी की है. लेकिन इस यान ने सूरज के वायुमंडल में पहुंचकर इतिहास रच दिया है. सूरज के वायुमंडल में पहुंचने से तीन बड़े रहस्यों से पर्दा हटेगा. पार्कर सोलर प्रोब (Parker Solar Probe) तीन प्रमुख चीजों की जांच करेगा. पहला- कोरोना में बहने वाली ऊर्जा और गर्मी की गणना और सौर हवाओं के बहाव की गति आदि. दूसरा- सूरज के मैग्नेटिक फील्ड यानी चुंबकीय क्षेत्र के ढांचे और डायनेमिक्स का अध्ययन करना और तीसरा – सूरज से निकलने वाले आवेषित कणों की उत्पत्ति, बहाव और उनके व्यवहार की जांच करना. इन तीनों अध्ययनों से धरती को सौर तूफानों से बचाने में मदद करेगा।

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