हल्ला बोल बैंक कर्मचारियों का:निजीकरण होने का बताए ये 4 नुकसान,2 हजार करोड़ का कारोबार हुआ प्रभावित…

अंबिकापुर. Bankers Hallabol।। निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारियों ने देशव्यापी दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है। हड़ताल के पहले दिन गुरुवार को जिलेभर के बैकों में हड़ताल रही। बैंकों में ताला लटके रहे। हड़ताल से बैंकिंग का कार्य प्रभावित रहा। सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों के साथ-साथ ग्रामीण बैंक के अधिकारी कर्मचारियों ने शहर के कलेक्टोरेट शाखा के बाहर निजीकरण के विरोध में नारेबाजी की और पूरे दिन हड़ताल (Strike) पर रहे। सरगुजा में बैंककर्मियों के हड़ताल पर रहने से लगभग 2 हजार करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित हुआ है। गुरुवार को अंबिकापुर एसबीआई कलक्टोरेट शाखा के बाहर सभी बैंकों के कर्मचारी जमा हुए। देश व्यापी हड़ताल के आह्वान पर बैंक कार्य बंद रखा। कर्मचारियों ने प्रदर्शन (Bank workers protest) करते हुए जमकर नारेबाजी की। उनकी मांगे हैं कि सरकार की ओर से बनाई जा रही नीतियों का विरोध करते हैं।

बैंकों के निजीकरण को लेकर बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे, जिससे लेनदेन और अन्य कार्य भी प्रभावित हुए। बैंक उपभोक्ताओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। बैंकों के निजीकरण के विरोध के चलते यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने 16-17 दिसंबर को हड़ताल का आह्वान किया है। हड़ताल के पहले दिन काफी असर देखा गया। हड़ताल में राष्ट्रीयकृत बैंकों के साथ-साथ ग्रामीण बैंक के अधिकारी-कर्मचारी भी शामिल रहे।

कर्मचारियों का कहना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ आम जनता को सरकारी बैंकों के माध्यम से ही मिलता है। ऐसी स्थिति में अगर बैंकों का निजीकरण किया गया तो सरकारी योजना भी आम जनता तक नहीं पहुंच पाएगी। सरकार को अपना प्रस्ताव वापस लेना होगा। सरगुजा जिले में 12 राष्ट्रीयकृत बैंकों के साथ-साथ ग्रामीण बैंक के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। सभी शाखाओं में सुबह से ही ताला लटका रहा। बैंक कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से लगभग सरगुजा जिले में लगभग 2000 करोड़ का कारोबार प्रभावित होगा।

संगठन बोला- निजीकरण से ये नुकसान

1. निजीकरण से सरकारी नौकरियों की संभावना कम हो जाएगी।

2. बेरोजगारी बढ़ेगी।

3. कॉर्पोरेट के हाथ में बैंकों का प्रबंधन चला जाएगा।

4. सामाजिक बैंक के स्थान पर व्यावसायिक बैंकों का प्रचलन बढ़ेगा जिससे आम जनता को भी असानी से बैंकिंग सुविधा नहीं मिल पाएगी।

यह है प्रमुख मांगें

1. राष्ट्रीयकृत बैंकों का निजीकरण नहीं किया जाए।

2. बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 सरकार वापस ले।

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