मौत के बाद भी इलाज’ की होगी जांच:2 सदस्यीय जांच टीम गठित, 7 दिन में देगी रिपोर्ट, पढ़ें पूरी खबर…

बिलासपुर।। के महादेव अस्पताल में डायबिटीज मरीज की कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान हुई मौत और फर्जीवाड़े के मामले ने तूल पकड़ लिया है। दैनिक भास्कर डिजीटल में खबर सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच के लिए टीम का गठन कर दिया है। इसमें दो डॉक्टर शामिल हैं। उन्होंने मंगलवार देर शाम ही मरीज के बेटे का बयान लिया और उसे दस्तावेज जमा करने को कहा है। अस्पताल प्रबंधन से भी जवाब मांगा गया है। टीम 7 दिन में जांच पूरी कर विभाग को रिपोर्ट सौंपेगी।

रिटायर्ड टीचर विजय तिवारी (64) की तबीयत खराब होने पर महादेव अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल ने बिना जांच किए ही मरीज को कोविड-19 उपचार की दवाएं खिलाना शुरू कर दिया। इस लापरवाही के चलते विजय तिवारी की मौत हो गई। जब उनके बेटे प्रेम प्रकाश तिवारी ने RTI में जानकारी मांगी तो पता चला कि मरीज की मौत के बाद भी उसे दवाइयां मुहैया कराई गईं। सिविल लाइन थाना CSP ने 3 जनवरी को CMHO को पत्र लिख कर जांच के लिए कहा, पर मामला दबा दिया गया।

खबर छपी को बेटे को बयान के लिए बुलाया

दैनिक भास्कर डिजीटल में खबर छपने के बाद एक सप्ताह तक मामले को दबाए स्वास्थ्य विभाग ने जांच के लिए दो डॉक्टरों की टीम बना दी। इसमें डॉ. मनीष श्रीवास्तव और डॉ. अनिल श्रीवास्तव शामिल हैं। टीम ने भी तत्काल जांच शुरू कर दी और विजय तिवारी के बेटे प्रेम प्रकाश तिवारी को बयान के लिए बुला लिया। प्रेम ने जांच टीम के सामने दस्तावेज पेश किए और सारे तथ्यों को रखा। टीम ने उसे दस्तावेजों की प्रति प्रस्तुत करने के लिए कहा है। इसके साथ ही अस्पताल प्रबंधन को भी नोटिस जारी किया गया है।

बेटा बोला दोषियों को मिलनी चाहिए सजा

CMHO ऑफिस बयान देने आए प्रेम प्रकाश तिवारी ने कहा कि उनके पिता को खांसी हुई थी। RT-PCR जांच के बिना ही कोरोना का इलाज शुरू कर दिया। डायबिटीज होने के बाद भी उन्हें दवाइयां नहीं दी गईं। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच होनी चाहिए और इलाज में लापरवाही बरतने वाले अस्पताल प्रबंधन व डॉक्टरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। ताकि, भविष्य में किसी मरीज के साथ ऐसा न हो। दावा किया कि इलाज में लापरवाही के सारे दस्तावेज और साक्ष्य मौजूद हैं।

मौत के बाद भी करते रहे कोरोना का इलाज

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रतनपुर के भेड़ीमुड़ा निवासी विजय कुमार तिवारी ( 64 ) शिक्षा विभाग के रिटायर्ड शिक्षक थे। उनके बेटे प्रेम प्रकाश तिवारी ने बताया कि वे शुगर के मरीज थे। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 26 अप्रैल 2021 को उन्हें खांसी आने लगी। तब उनका सिटी स्केन कराया गया। इसमें उनके कोरोना संक्रमित होने की आशंका जताई गई। इसके बाद उन्हें 27 अप्रैल को महादेव अस्पताल में भर्ती कराया गया और 4 मई को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। जब बेटे ने RTI लगाई तो पता चला कि मौत के बाद भी उन्हें दवाइयां मुहैया कराई गईं।

कोरोना से भाई के बाद खोया पिता

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प्रेमप्रकाश ने बताया कि कोरोना के दूसरी लहर में उसके 36 वर्षीय जवान भाई की अक्टूबर 2021 में मौत हो गई थी। भाई की मौत के बाद पूरा परिवार कोरोना से पूरी एहतियात बरत रहे है। यही वजह है कि शुगर पीड़ित पिता की तबीयत खराब होने पर तत्काल सिटी स्कैन कराया और अस्पताल में भर्ती करा दिया। लेकिन, उन्हें क्या पता था कि अस्पताल में इलाज में लापरवाही बरती जाएगी और उनके पिता को भी खोना पड़ जाएगा।

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