छतीसगढ़: लचर सरकारी तंत्र के आगे हांफती हुई जिंदगी, मासूम की इलाज के आभाव में मौत, परिजनों ने किया हंगामा…

रायपुर।। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में एक बार फिर लचर सरकारी तंत्र के आगे हांफती हुई जिंदगी आखिरकार हार ही गई। एक परेशान मां अपने 13 साल के बेटे को लेकर यहां पहुंची। एंबुलेंस से बच्चे को उतारने स्ट्रेचर नहीं मिला, 15 से 20 मिनट बाद बच्चे को उतारा गया। बच्चे को कहां ले जाएं कोई बताने वाला नहीं था। मां चीख रही थी, तो जैसे-तैसे स्टाफ सामने आए, यहां जाइए…वहां जाइए… ऑपरेशन करना होगा.. जैसी बातें कहते रहे। परिजनों का दावा है कि इन सब में करीब 2 घंटे बीत गए, और स्ट्रेचर पर पड़े-पड़े बच्चे की मौत हो गई।

परिजनों ने बताया कि रविवार देर रात करीब तीन- साढ़े तीन बजे तक बेटा रुद्र मां ऋचा और पिता हर्ष के साथ हंसी मजाक करता रहा। पैरेंट्स ने फिर डपट कर बेटे को सोने को कहा और वो भी सोने चले गए। करीब 30 मिनट बाद ही अचानक कुछ गिरने की आवाज से परिजन रुद्र के कमरे में आए, देखा कि उसके हाथ पैर अकड़ गए थे। फिर फौरन एंबुलेंस को कॉल किया गया, इसके बाद परिवार एक से दो घंटे तक बेटे को अस्पताल में एडमिट करने को लेकर जूझता रहा और एक जिंदगी हाथ से रेत की तरह फिसलती चली गई। इस मामले में अंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डॉ एसबीएस नेताम ने बताया कि बच्चे की मां से मेरी बात हुई थी। उन्होंने मुझे जानकारी दी थी, तब मैं वहां नहीं था मगर डॉक्टर से हमने दोबारा बच्चे की जांच करवाई थी। पता चला कि बच्चा डेड ही अस्पताल लाया गया था।

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