RSS प्रमुख का जाति व्यवस्था पर बड़ा बयान, कहा- ‘यह अतीत है,वर्ण‘ और ‘जाति ‘ इसे भूल जाओ, यह खत्म होना चाहिए’…

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि अब हमें ‘वर्ण‘ और ‘जाति ‘ जैसी अवधारणाओं को पूरी तरह से त्याग देना चाहिए. उन्होंने कहा, सामाजिक समानता भारतीय परंपरा का हिस्सा थी जिसे पूरी तरह से भुला दिया गया है. इस वजह से आज की स्थिति बनी है जिसके परिणाम बहुत हानिकारक हैं

भागवत ने कहा कि वर्ण और जाति व्यवस्था का मूल रूप भेदभाव नहीं था, बल्कि इसके उपयोग थे. हालांकि आज इन व्यवस्थाओं की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि आज कोई अगर इन संस्थानों के बारे में पूछे तो जवाब होना चाहिए कि ‘यह अतीत है, इसे भूल जाओ.’ इस दौरान उन्होंने इस व्यवस्था को खत्म करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, ‘जो कुछ भी भेदभाव का कारण बनता है उसे खत्म कर देना चाहिए.’

जनसंख्या असंतुल पर भागवत का बयान

इससे पहले भागवत ने बुधवार को कहा था कि भारत को सभी सामाजिक समूहों पर समान रूप से लागू एक सुविचारित, व्यापक जनसंख्या नियंत्रण नीति तैयार करनी चाहिए. साथ ही उन्होंने जनसांख्यिकीय ‘असंतुलन’ के मुद्दे को उठाया और कहा कि जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है. उन्होंने कहा कि समुदाय आधारित ‘जनसंख्या असंतुलन’ एक महत्वपूर्ण विषय है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है.

भागवत ने कहा, ‘पचहत्तर साल पहले, हमने अपने देश में इसका अनुभव किया. 21 वीं सदी में, तीन नए देश जो अस्तित्व में आए हैं – पूर्वी तिमोर, दक्षिण सूडान और कोसोवो – वे इंडोनेशिया, सूडान और सर्बिया के कुछ क्षेत्रों में जनसंख्या असंतुलन के परिणाम हैं.

उन्होंने कहा कि संतुलन बनाने के लिए नई जनसंख्या नीति सभी समुदायों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘इस देश में समुदायों के बीच संतुलन बनाना होगा.’ उन्होंने कहा, ‘जन्म दर में अंतर के साथ-साथ लालच देकर या बलपूर्वक धर्मांतरण,और घुसपैठ भी बड़े कारण हैं. इन सभी कारकों पर विचार करना होगा.’

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