छत्तीसगढ़ का अनोखा गाँव : यहां होती है शादी के पहले सेक्स करने की आजादी, पसंद आया तो ठीक नहीं तो…पढ़ें पूरी खबर

रायपुर।। छत्तीसगढ़ पूरे देश में अपनी आदिवासी कला संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहां कमार, बैगा, बिरहोर, पहड़ी कोरवा, भुंजिया, जैसे आदिवासी जनजाति के लोग निवास करते है । भले आदिवासी समुदाय के लोगों को पिछड़ा कहा जाता है लेकिन वो कई मायने में आधुनिक मानव से काफी आगे है। ज्यादातर आदिवासी समुदाय के महिला प्रधान होती है। आदिवासी महिलाएं प्राचीन काल से ही पुरूषो के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है। वहीं इसके उलट आधुनिक मानव आज भी पुरुष प्रधान है। आज हम आपको छत्तीसगढ़ी के माड़िया जनजाति की एक ऐसी परंपरा के बारें में बताने जा रहे है। जिसके बारे में जानकर आपको आश्चर्य होगा।

माड़िया जनजाति में घोटुल नाम की परंपरा है। जिसकी काफी आलोचना होती है। लिव इन रिलेशन को आप घोटुल का आधुनिक एडेप्टेशन मान सकते है। घोटुल एक ऐसी परंपरा है। जिसमें लड़के-लड़कियों को अपना जीवनसाथी चुनने की छूट होती है। घोटुल को सामाजिक स्वीकृति भी मिली हुई है। इस परंपरा पर उठे विवादों के कारण इसका चलन काफी कम हुआ है। घोटुल एक तरह का सामुदायिक स्थान को कहा जाता है।

जिसमें पूरे गाँव के बच्चे व किशोर सामूहिक रूप से रहते हैं, यह छत्तीसगढ़ के बस्तर, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के पड़ोसी क्षेत्रों के मुरिया एवं माडिया गोंड समुदाय के लगभग सभी गाँव में होता है। यहां जवान युवक एवं युवतियां एक दूसरे से मिलकर भविष्य की रुपरेखा तैयार करते हैं। और जहाँ सूरज ढलने के कुछ ही देर बाद युवक-युवतियां धीरे-धीरे इकट्ठे होने लगते है स्थानीय लोकगीत गाते हैं और वाद्ययंत्रो की थाप में थिरकते घोटुल तक पहुँचते है समूहों के बीच गाना बजाना चलता रहता है।

हंसी-ठिठोली मजाक मस्ती के बीच धीरे- धीरे अँधेरा घिरते ही बड़ा समूह बिखर कर छोटे-छोटे जोड़ों में बंट जाता है। और वहीं युवक-युवतियां अपने प्रिय साथी के साथ मधुर वार्तालाप में सलग्न हो जाते है। इस दौरान अगर युवक-युवती के विचार आपस में मेल खाते है तो वे जीवनसाथी बनने का निर्णय लेते है। और लगातार रातभर एक दुसरे के साथ रहने के कारण घोटुल में ही प्रेमी जोड़े आपस में यौन अनुभव प्राप्त कर लेते है। और यदि कोई युवती गर्भवती हो जाती है, तो उससे उसके साथी का नाम पूंछ कर उसका विवाह उससे कर दिया जाता है।

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