बड़ी खबर: आरक्षण विधेयक पर सरकार और राजभवन के बीच टकराव जारी, जानिए राज्यपाल ने किस बयान पर जताई कड़ी आपत्ति…
रायपुर।। छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर बवाल मचा हुआ है. आरक्षण विधेयक पर सरकार और राजभवन के बीच टकराव जारी है. राजभवन से एक पत्र जारी किया गया है. पत्र के माध्यम से उठ रहे सवालों के जवाब दिए गए हैं. पत्र में राज्यपाल पर टिप्पणी को अमर्यादित बताया है।
राज्यपाल ने पत्र में अमर्यादित भाषा को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है. राज्यपाल ने 2023 तक इंतजार करने के लिए पत्रकार को दिया गया उत्तर के संबंध में वस्तुस्थिति जारी की है. 22 जनवरी 2023 को एक पत्रकार द्वारा राज्यपाल से आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण विधेयक पर 58 प्रतिशत को शासन को स्थगन देने से इंकार करने पर उनके द्वारा कहा गया कि मार्च तक इंतजार करिए. इस संबंध में वस्तुस्थिति यह है कि शासन और सर्व आदिवासी समाज के प्रकाश ठाकुर द्वारा सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली में एक पिटीशन लगाई गई है. जिसमें रायपुर हाईकोर्ट के 19 सितम्बर 2022 के निर्णय से जनजाति समाज का आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया है।
शासन और सर्व आदिवासी समाज ने हाई कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध स्थगन मांगा था, लेकिन कोर्ट ने स्थगन नहीं दिया है. इस पिटीशन में समाज की मांग है कि उनका आरक्षण वापिस 32 प्रतिशत किया जाए. 16 दिसम्बर 2022 को हियरिंग थी, जिसमें छग शासन द्वारा एक माह का समय उत्तर देने के लिए मांगा गया. 16 जनवरी को भी शासन ने उत्तर प्रस्तुत नहीं किया. सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी ओर से सभी पक्ष को 4 मार्च 2023 तक उत्तर देने के लिए कहा और 22-23 मार्च 2023 को अंतिम सुनवाई कर अपना निर्णय देने की बात कही है।
इसी परिपेक्ष्य में राज्यपाल द्वारा पत्रकार को उत्तर दिया गया है, जिसका अर्थ लंबित आरक्षण विधेयक से जोड़ दिया गया है. जबकि राज्यपाल का उत्तर सर्वोच्च न्यायालय के परिपेक्ष्य में था. कुछ लोगों द्वारा संवैधानिक प्रमुख के लिए अमर्यादित भाषा बोलना उपयुक्त नहीं है. राज्यपाल ने पूर्व में भी शासन से क्वांटीफाईबल डाटा की रिपोर्ट तलब की गई है, जो कि प्राप्त नहीं हुई है साथ ही उन्हे 10 प्रश्नों का उत्तर भी संतोषजनक नहीं मिला है।
बता दें कि विधानसभा से आरक्षण संशोधन विधेयक को पास हुए 50 दिन से ज्यादा हो गए हैं. लेकिन अब तक विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं हो पाया है. बता दें कि 1 और 2 दिसंबर 2022 को विधानसभा के विशेष सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किया गया था. इसे पास हुए 52 दिन हो चुके हैं. लेकिन अब तक राज्यपाल ने विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किया है. इसे लेकर कांग्रेस लगातार जल्दी साइन करने की मांग कर रही है. मंत्रीगण भी इस संबंध में राज्यपाल से कई बार अनुरोध कर चुके हैं।