भूपेश बघेल के पिता ने राष्ट्रपति को पत्र भेज कर मांगी ‘इच्छामृत्यु’ की अनुमति, जानें क्या है वजह…

भूपेश बघेल के पिता।। ने राष्ट्रपति से ‘इच्छामृत्यु’ की मांग की है. नंद कुमार बघेल (Nand Kumar Baghel) राष्ट्रीय मतदाता जागृत मंच के अध्यक्ष भी हैं. उनका कहना है कि देश में बैलेट पेपर से चुनाव कराया जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी पर इच्छामृत्यु प्रदान करने की अनुमति दी जाए. नंद कुमार बघेल ने राष्ट्रीय मतदाता जागृत मंच के माध्यम से राष्ट्रपति को पत्र भेजकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है।

उन्होंने पत्र में लिखा है कि आपको अत्यन्त दुख के साथ अवगत कराना पड़ रहा है कि नागरिकों के समस्त संवैधानिक अधिकारों का व्यापक स्तर पर हनन हो रहा है. लोकतंत्र के तीनों स्तंभ विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका धवस्त होती जा रही है. मीडिया भी तीनों स्तंभों के इशारे पर काम कर रहा है. नागरिकों के अधिकारों की कोई सुनने वाला नहीं है. जनप्रतिनिधियों को मतदाता अपनी हर समस्या के लिए चुनते हैं, उनकी आवाज भी निरन्तर दबती जा रही है. विधायिका देश के समस्त सरकारी विभागों और उपक्रमों को चहेतों को बेच रही है. कार्यपालिका भ्रष्टाचार में संलिप्त होकर अपनी आनेवाली संतानों के लिए अधिक से अधिक धन इकट्ठा कर भविष्य सुरक्षित करने में लगी है. उन्होंने ये भी कहा कि आम नागरिकों के मन में भय व्याप्त है. देश में न्याय पाने के लिए नागरिकों की पीढ़ी दर पीढ़ी गुजर जाती है लेकिन न्याय नसीब नहीं हो पा रहा है।

ईवीएम मशीन की जगह मतपत्र से चुनाव कराया जाए

पत्र में लिखा गया है कि सरकारी आकड़ों के अनुसार 700 से ज्यादा किसानों की गलत नीतियों के कारण मौत या हत्या हुई है. इसे समझना होगा. इसकी जिम्मेदारी किस पर रखी जायेगी. लोकतंत्र के सबसे बड़े अधिकार मतदान के अधिकार को ईवीएम मशीन से कराया जा रहा है. ईवीएम मशीन को किसी राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संस्था या सरकार ने 100 प्रतिशत शुद्धता से काम करने का प्रमाण पत्र नहीं दिया है. किसी भी मशीन को उपयोग में लाने से पूर्व मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्था या सरकार द्वारा मशीन की शुद्धता से काम करने का प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य है. फिर भी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में ईवीएम मशीन से मतदान कराकर मेरे वोट के उस संवैधानिक अधिकार का हनन किया जा रहा है,जिससे मेरे और नागरिकों के समस्त अधिकारों की रक्षा होती है. ईवीएम मशीन से जिसके पक्ष में मैं मतदान करता हूं मेरा मत उसके पक्ष में संरक्षित हो रहा है या नहीं? उसकी कोई गारन्टी मुझे प्रतीत नहीं होती है और न ही मैं उसका मूल्यांकन, स्क्रूटनी कर सकता हूं और न ही कोई और कर सकता है. मतदान की सबसे विश्वसनीय पद्धति वही होती है जिसकी स्क्रूटनी कोई भी नागरिक खुद कर पूरी सन्तुष्टि प्राप्त कर सके. मतपत्र से मतदान का मूल्यांकन प्रत्येक नागरिक कर सकता है. लेकिन ईवीएम से कराये गये मतदान का मूल्यांकन आम आदमी तो क्या अधिकारी भी नहीं कर सकते हैं. जो राजनैतिक पार्टी सत्ता में होती है वह ईवीएम मशीन से जल्दी मतगणना का हवाला देकर उसे वैध करार देती आ रही है।

नंदकुमार कुमार बघेल ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में जब मेरे समस्त अधिकारों का हनन हो रहा है तो मेरे जीने का उद्देश्य ही समाप्त होता जा रहा है. माननीय राष्ट्रपति जी आपने संविधान की रक्षा की शपथ ली है. लेकिन मेरे संवैधानिक अधिकारों की रक्षा नहीं हो पा रही है. जिसके चलते मेरे पास इच्छामृत्यु के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा. इसलिए माननीय महोदय से स्वस्थ लोकतंत्र के व्यापक हित में अनुरोध है कि आप देश में लोगों का, लोगों द्वारा, लोगों के लिए, शासन (लोकतंत्र) के लिए पारदर्शी तरीके से मतदान ईवीएम की जगह पर मतपत्र एवं मतदान पेटी से कराने का आदेश जारी करने की कृपा करें. ईवीएम से मतदान कराकर सरकारें सरकारी संपत्तियों को बेचकर देश में गरीबी और बेरोजगारी को बढ़ाने का पाप कर रही है. उस पाप का मैं भागीदार नहीं बनना चाहता. देश का संविधान और लोकतंत्र दोनों खतरे में है. अगर ईवीएम के स्थान पर मतपत्र और मतपेटी से मतदान संभव नहीं है तो मुझे 25 जनवरी, 2022 को राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर इच्छामृत्यु करने की अनुमति प्रदान करने की कृपा करें।

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