BJP नेता पीयूष त्रिपाठी को मिली अग्रिम ज़मानत..लॉकडाऊन उल्लंघन,वैक्सीन लगवाने का था मामला…
अंबिकापुर।।27 मार्च 2021 को अवैध पास के आधार पर वैक्सीन लगवाने के आरोप अंतर्गत दर्ज IPC की धारा 419,420 मामले में माननीय विशेष न्यायाधीश ने जिला प्रशासन के सम्बंधित अधिकारियों पर टिप्पणी करते हुए पीयूष त्रिपाठी को अग्रिम ज़मानत प्रदान कर दी है।
इसके अतिरिक्त लॉकडाऊन उल्लंघन पर IPC की धारा 188 व आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51 के अंतर्गत बिना उचित विवेचना के तथा पीयूष त्रिपाठी का पक्ष सुने बिना जल्दबाज़ी में दर्ज किए FIR पर अग्रिम ज़मानत के आवेदन को दिनांक 24/04/2021 को सुनते हुए माननीय प्रथम अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती नीलिमा सिंह बघेल ने अग्रिम ज़मानत प्रदान की है।
दिनाँक 22/04/2021 को वैक्सिनेशन मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करते हुए माननीय न्यायालय के समक्ष यह तथ्य आए कि पीयूष कुमार त्रिपाठी एक सामाजसेवी तथा शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं, अपने जीवन काल में अबतक 84 बार रक्तदान कर चुके हैं, प्रतिवर्ष 250 से 300 ग़रीब बच्चों की शिक्षा को अभियान बनाकर उन्हें निःशुल्क शिक्षा विगत कई वर्षों से दिलवा रहे हैं, इन कार्यों के लिए समाज द्वारा उन्हें अनेकों बार सम्मानित किया जा चुका है। कोरोना काल में भी लोगों की निरन्तर सेवा सुश्रुषा करते आ रहे हैं।
जिला प्रशासन द्वारा वैमनस्यपूर्ण आचरण द्वारा काल्पनिक अपराध न केवल पंजीबद्ध कराया गया है, बल्कि आवेदक प्रथम सूचना रिपोर्ट का आवलोकन कर उचित विधिक सहायता भी प्राप्त न कर सके, इस उद्देश्य से उक्त अपराध को अकारण ही अतिसंवेदनशील श्रेणी में डाल दिया गया, जबकि केवल महिलाओं और बच्चों से सम्बंधित अपराध को ही इस श्रेणी में रखा जाता है।
आवेदक की ओर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री धनञ्जय मिश्रा तथा विशेष लोक अभियोजक के तर्कों को सुनकर अग्रिम ज़मानत आवेदन पर विचार करते हुए माननीय विशेष न्यायाधीश श्री आलोक कुमार ने कहा कि केस डायरी के अवलोकन से प्रथमदृष्टया दर्शित है कि आवेदक को अप्रैल 2020 में कोरोना फाईटर का पास जारी किया गया था। जिसकी ऐसी कोई प्रमाणित प्रति संलग्न नहीं है, जिससे दर्शित हो कि उक्त पास/परिचय-पत्र किस दिनांक से लेकर किस दिनांक तक के लिए जारी किया गया था।
आवेदक की ओर से प्रस्तुत दस्तावेज में कोरोना फाईटर का जो पास/परिचय-पत्र की प्रमाणित प्रति पेश किया गया है, उसके जारी होने का दिनाँक 14/04/2020 उल्लेखित है, जबकि अवसान होने की तिथि का उल्लेख नहीं है।
माननीय विशेष न्यायाधीश श्री आलोक कुमार ने अपने निर्णय में कहा कि केस डायरी में जहाँ तक आवेदक को जारी पास/परिचय-पत्र को कालातीत होने का लेख किया गया है, उक्त कालातीत होने का उल्लेख किस कारण या आधार पर किया गया है, यह तथ्य दर्शित नहीं हो रहा है।
तब उक्त तथ्यों को देखते हुए आवेदक को अग्रिम ज़मानत का लाभ दिया जाना उचित प्रतीत होता है।