BREAKING :इस बड़े हॉस्पिटल की बड़ी लापरवाही आयी सामने.. पहले बोला की मौत हो गई..सुबह पता चला कि वे जिंदा हैं.. पढ़िए पूरी खबर

रायपुर।।रायपुर के मोहबा बाजार इलाके में रहने वाले एक परिवार के साथ जो हुआ, वो जनता की सुरक्षा का जिम्मा लेने वालों के साथ हो तो शायद लोगों की तकलीफ उन्हें समझ आए । कोविड संक्रमित मरीज सतीश गुरवेकर के बेटे स्वराज को शुक्रवार की शाम बताया गया कि उनके पिता का निधन हो गया। सुबह आकर शव ले जाने की प्रक्रिया कर लें | पूरी रात परिवार रोता रहा, हर जानने वाले को खबर मिली तो सभी शोक में डूब गए।

जब बेटे ने AIIMS की मर्चुरी से शनिवार की सुबह शव लेने के लिए संपर्क किया तो वहां उनके पिता का शव नहीं था। उस मानसिक दशा को महसूस करिए कि बेटा इसके बाद अपने पिता का शव ढूंढने की कोशिश में लगा रहा। बार-बार पूछने पर उसे पता चला कि उसके पिता जिंदा हैं, वेंटिलेटर पर हैं। ये खबर उसने परिवार के लोगों को बताई। लेकिन यह राहत कुछ ही घंटों की रही । शनिवार की दोपहर फिर से बेटे को AIIMS की तरफ से जानकारी दी गई कि उनके पिता का निधन हो चुका है

ये मानवीय चूक नहीं, बड़ी लापरवाही है

16 अप्रैल की रात से लेकर 17 अप्रैल की दोपहर तक इस परिवार ने जो झेला वो शब्दों में लिख पाना संभव नहीं। जहां बिना नाम पता और पूरी जानकारी, मेडिकल रिपोर्ट के लोग घुस नहीं सकते वहां मरीज को लेकर इस तरह की लापरवाही का उजागर होना कोई मामूली बात नहीं। AIIMS प्रबंधन हमेशा कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने और मरीज को बेहतर सुविधा मुहैया कराने के दावे करता है। मगर इस घटना मरीजों के प्रबंधन को लेकर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं।

मेरे पिता को यूरिन बैग तक नहीं दिया, डॉक्टर बोले पानी की बोतल काट लो

सतीश गुरवेकर को कोरोना से पीड़ित होने की वजह से AIIMS में भर्ती करवाया गया। उनकी हालत लगातार खराब हो रही थी तो ICU में रखा गया। बेटे स्वराज ने बताया कि वो इस कदर कमजोर हो चुके थे कि पेशाब के लिए वॉशरूम तक नहीं जा पा रहे थे। मैंने एक बार उन्हें सहारा देकर ले जाने की कोशिश की। मैंने डॉक्टर से कहा था कि एक यूरिन बैग दे दें, मुझे जवाब मिला कि यूरिन बैग नहीं है कोई बॉटल काट कर यूज कर लो।

गिर जाते थे, कोई उठाने वाला नहीं होता था

स्वराज ने कहा- पापा के हाथ और पीठ में चोटें लग गईं थीं, मैने पता किया तो जानकारी मिली कि वो बेड से उठने की कोशिश करते तो गिर जाते थे। उन्हें कोई उठाने वाला नहीं होता था। पूरी रात वो बेड से नीचे गिरे पड़े हुए थे, मुझे ये भी पता चला। मैं मजबूर भी था और अंदर से बेहद गुस्से में भी। मैंने डॉक्टर्स से पूछा कि क्यों उन्हें प्रॉपर केयर नहीं दी जा रही तो कह दिया गया कि यहां बहुत लोग हैं किस-किस को देखें।

रविवार को हुआ अंतिम संस्कार

इस पीड़ा को झेलने वाले गुरवेकर परिवार पास अब अपने परिवार के मुखिया को खोने के गम के सिवा कुछ नहीं है। रविवार को स्वराज ने बताया कि सुबह काफी देर तक इंतजार के बाद पापा की पार्थिव देह मिली, कोविड प्रोटोकॉल के साथ हम उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं, मेरे पापा के साथ जो हुआ बहुत गलत हुआ।

Leave a Reply