कोरोना का असर गरीबों के मकान पर भी, करीब 5 लाख आवासों में कटौती…

रायपुर।।छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण का असर गरीबों के मकानों में भी साफ दिखाई दे रहा है। कोविड 19 के कारण छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 4 लाख 91 हजार 52 आवासों में कटौती की गई है। कटौती की दूसरा बड़ा कारण आवंटन की कमी भी है।

इसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं के मकान का सपना देखने वालों को बड़ा झटका लगा है। हितग्राही शासकीय दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हो रहे हैं। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह भी है कि आवास निर्माण के बाद हितग्राहियों को किश्त की राशि भी नहीं मिल पा रही है। ऐसे में कोरोना संक्रमण की वजह से हितग्राहियों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।

जानकारी के मुताबिक 2019-20 में स्वीकृत आवासों के हितग्राहियों को राशि का भुगतान नहीं हो सका है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करे तो 5 लाख 51 हितग्राहियों को 5215 करोड़ रुपए आवास प्रगति के आधार पर 4 किस्तों में दी जानी थी, लेकिन आवंटन के अभाव में भुगतान नहीं हो सका है। इससे हितग्राही परेशान हो रहे हैं।

केंद्र से नहीं मिली राशि, राज्य का बजट भी कम
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के लिए राज्य के बजट में भी कम राशि का प्रावधान रखा जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास के तहत 1 लाख 57 हजार 815 मकान स्वीकृत हुए है। इसमे केंद्र की राशि के बाद राज्य सरकार को करीब 800 करोड़ रुपए का राज्यांश देना था, लेकिन बजट में केवल 400 करोड़ रुपए की राशि रखी गई है। अहम बात यह है कि 2020-21 के लिए स्वीकृत आवासों के लिए केंद्र सरकार से भी राशि नहीं मिल सकती है। इसकी वजह से स्वीकृत आवासों को शुरू ही नहीं किया जा सका है।

आवास निर्माण की रफ्तार भी धीमी
पिछले दो सालों में आवास निर्माण की गति भी धीमी चल रही है। इसे लेकर विपक्ष भी लगातार सवाल उठाते रहा है। सरकारी आंकड़ों की माने तो वर्ष 2018-19 और 2019-20 में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 5 लाख 51 आवास स्वीकृत हुए थे। इनमें से 3 लाख 42 हजार 238 आवासों का ही निर्माण हो सकी है। जबकि पिछले दो साल में 1 लाख 57 हजार से अधिक आवासों का निर्माण अभी भी होना बाकी है।

नक्सल प्रभावित जिलों की स्थिति भी अच्छी नहीं
नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में बीजापुर और नारायणपुर जिले को छोड़ दिया जाए, तो शेष जिलों में आवास निर्माण की स्थिति संतोषजनक नहीं है। दंतेवाड़ा में तो लक्ष्य के विरुद्ध आधे आवासों का भी निर्माण नहीं हुआ है। दंतेवाड़ा जिले को दो साल में 4200 आवास निर्माण का लक्ष्य दिया गया था। इनमें से 2120 आवासों का ही निर्माण हो सका है। कोण्डगांव में 7 हजार आवासों के विरुद्ध 3065 आवासों का और 4585 आवासों का निर्माण हो सका है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, आवास निर्माण की लगातार समीक्षा की जा रही है। आवंटन प्राप्त होने पर हितग्राहियों को राशि का भुगतान किया जाएगा।

अधूरे आवास वाले टॉप 5 जिले
जिला- अपूर्ण आवास
रायगढ़-12010
कोरबा- 9856
जशपुर-9827
महासमुंद- 9395
बिलासपुर- 9249
पूर्ण आवास वाले टॉप 5 जिले
बिलासपुर- 26342
महासमुंद-25870
जांजगीर-चांपा-25556
रायगढ़-23870
राजनांदगांव-21776

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