Omicron: के ये हैं लक्षण, ये सिमटम्स होने पर होजाएं सावधान…

ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron variant)।। के देश में करीब 2600 से अधिक केस हो गए हैं. इस वैरिएंट की शुरूआत दक्षिण अफ्रीका से हुई थी और इसके बाद वह पूरी दुनिया में पैर पसार चुका है. अभी तक मिले डेटा के मुताबिक, कई एक्सपर्ट का कहना है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट में हॉस्पिटलाइजेशन का जोखिम काफी कम है।

वहीं कुछ एक्सपर्ट का कहना यह है कि ओमिक्रॉन ही देश में तीसरी लहर का कारण बन सकता है. ओमिक्रॉन को पिछले डेल्टा वैरिएंट (Delta variant) से घातक माना जा रहा है, लेकिन यह कम समय में अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है. एक्सपर्ट के मुताबिक, ओमिक्रॉन वैरिएंट में डेल्टा वैरिएंट की अपेक्षा कुछ हल्के लक्षण पाए जाते हैं. लेकिन इसके फैलने की रफ्तार काफी तेज है।

भारत में ओमिक्रॉन और डेल्टा दोनों से संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन इन दोनों वैरिएंट के लक्षणों में कुछ अंतर है जिनके बारे में जानना काफी जरूरी है।

ओमिक्रॉन वैरिएंट और डेल्टा वैरिएंट (Omicron variant and the Delta variant)

ओमिक्रॉन वैरिएंट और डेल्टा वैरिएंट दोनों ही COVID-19 के वैरिएंट हैं. साल 2020 में पहली बार डेल्टा वैरिएंट (B.1.617.2) की पहचान इंडिया में हुई थी. इस वैरिएंट के कारण लाखों लोगों की जान भी गई थी।

वहीं अगर ओमिक्रॉन की बात की जाए तो इसकी पहचान नवंबर 2021 में दक्षिण अफ्रीका में हुई थी. इसके बाद से यह दुनिया के 90 से अधिक देशों में फैल गया और भारत में भी अभी 2600 से अधिक केस ओमिक्रॉन के मिल चुके हैं।

ओमिक्रॉन वैरिएंट और डेल्टा वैरिएंट के लक्षण 

एक्सपर्ट के मुताबिक, ओमिक्रॉन वैरिएंट और डेल्टा वैरिएंट के लक्षणों में कुछ अंतर देखे गए हैं. थकान (Fatigue), जोड़ों का दर्द (Joint pain), सर्दी (Cold) सिरदर्द (Headaches) ओमिक्रॉन के चार सामान्य लक्षण हैं. अन्य स्टडी के मुताबिक, नाक बहना (Runny nose), छींक आना (Sneezing) और गले में खराश (Sore throat), भूख ना लगना (loss of appetite) जैसे लक्षण भी ओमिक्रॉन के हो सकते हैं।

डेल्टा वैरिएंट के प्रमुख लक्षणों में गंध और स्वाद की हानि (Loss of smell and taste) सबसे बड़ा लक्षण था. लेकिन इसके साथ ही गला खराब होना (Sore Throat), नाक बहना (Runny Nose and Sneezing), सिरदर्द (Headache) भी इसके लक्षण हो सकते हैं।

एम्स के एक डॉक्टर के मुताबिक, ओमिक्रॉन में COVID-19 के किसी अन्य पिछले संस्करण की तरह सांस फूलने की समस्या नहीं हो सकती है, क्योंकि यह वैरिएंट फेफड़े और सांस लेने के सिस्टम (Respiratory system) की बजाय गले पर हमला करता है. आगे कहा कि ओमिक्रॉन से फेफड़ों पर काफी कम प्रभाव पड़ता है. यानी कि जहां डेल्टा वैरिएंट फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा था, जिससे दुनिया भर के विभिन्न लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी थी, वहीं ओमिक्रॉन के मामले में ऐसा बहुत कम देखा जा रहा है।

ओमिक्रॉन, इम्यूनिटी और वैक्सीन

एक्सपर्ट का मानना है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट वैक्सीनेशन के बाद भी संक्रमित कर सकता है. लेकिन फिलहाल यह वायरस बार-बार म्यूटेट हो रहा है इसलिए इस बारे में और अधिक रिसर्च की आवश्यकता है, जिसमें दुनिया भर के साइंटिस्ट लगे हुए हैं. वहीं वैक्सीन बनाने वाली कई कंपनियां भी वैक्सीन और ओरल ड्रग की टेस्टिंग में लगी हुई है.

मैक्स हेल्थकेयर के एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ. अंबरीश मिथल (Dr Ambrish Mithal) के मुताबिक, फाइजर्स की Paxlovid ओवरऑल कोविड के पैशेंट पर 90 % तक प्रभावी है और यह ओमिक्रॉन से भी प्रभावी हो सकती है।

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