300 मरीजों की मौत का आंकड़ा सामने आने के बाद,स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने, दिए ये आदेेश…

कोरोना के इलाज में झोलाछाप डाक्टरों की लापरवाही और 300 मरीजों की मौत का आंकड़ा सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में खासी खलबली मच गई है। पता चला है कि दूसरी लहर में मौतों के बाद जिन 300 डाक्टरों को नोटिस जारी कर उनका क्लीनिक बंद करवाया गया था, उन्होंने दूसरी जगह नए नाम से फिर अपनी दुकान खोल ली है।

स्वास्थ्य विभाग अब जिलेवार जांच अभियान चलाकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग झोलाछाप डाक्टरों की नई जगह और नए नाम का पता लगाने के लिए अलग सिस्टम बना रहा है। अब किसी भी जिले या ब्लॉक में झोलाछाप डॉक्टर पर जो भी कार्रवाई की जाएगी, उसकी सूचना दूसरे जिलों को दे दी जाएगी। झोलाछाप डाक्टर का पूरा ब्योरा देकर अलर्ट कर दिया जाएगा, ताकि वह दूसरे जिले में अगर नाम बदलकर क्लीनिक खोले तो तुरंत उसकी पहचान कर वहां भी कार्रवाई की जा सके।

विभाग के अफसरों का कहना है कि हर जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों के माध्यम से झोलाछाप डाक्टरों पर कड़ाई से मॉनीटरिंग की जाएगी। इसमें औचक जांच का दायरा बढ़ाया जाएगा। नर्सिंग होम एक्ट के तहत झोलाछाप डाक्टरों के खिलाफ एफआईआर जैसे सख्त प्रावधान भी हैं। रायपुर, बीजापुर, दुर्ग, बलरामपुर, बिलासपुर, जांजगीर चांपा जैसे जिलों के सीएमएचओ से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि झोलाछाप डाक्टरों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। लेकिन कई बार जिला बदलकर वो फिर से वही काम शुरु कर रहे हैं। अब नए सिस्टम के अमल में आने के बाद वे ऐसा नहीं कर सकेंगे।

जिसकी अनुमति नहीं उसका इलाज किया तो कार्रवाई : सिंहदेव

प्रदेश में कोरोना मौत के पीछे झोलाछाप इलाज का भंडाफोड़ होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भास्कर से कहा कि डाक्टरी के नाम पर फर्जीवाड़ा कर मरीजों की जान से खेलने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि केवल कोरोना मौत के मामलों में ही नहीं, दूसरे इलाज में भी मरीजों के साथ खिलवाड़ कर रहे झोलाछाप डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई के लिए कहा गया है। नियमों की आड़ में जिस इलाज की अनुमति नहीं है अगर कोई उसका इलाज करते पाया गया तो वो सीधे तौर पर दोषी है।

केवल लाइसेंस वाला ही कर सकता प्रैक्टिस

नर्सिंग होम एक्ट के तहत एलोपैथी इलाज के लिए जिस क्लिनिक या डाक्टर को लाइसेंस दिया जाता है। केवल वही इलाज कर सकता है। पड़ताल में पता चला है कि आयुर्वेदिक इलाज की डिग्री वालों को केवल एलोपैथी के सीमित इलाज की ही अनुमति दी जाती है। वो भी ट्रेनिंग के बाद। ज्यादातर झोलाछाप डाक्टरों के पास इलाज के लिए लाइसेंस ही नहीं होता है। जानकार कहते हैं कि हर जिले में सीएमएचओ को इसके लिए बारीकी से अपने जिले को कई सैक्टर में बांटकर सर्विलांस करना होगा। जिसके बाद ही झोलाछाप इलाज करने वालों की वास्तविक संख्या सामने आ सकती है जिसके आधार पर उन पर एक्शन लिया जा सकता है।

कार्रवाई के नाम पर केवल जुर्माना

झोलाछाप डाक्टरों पर कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास सीमित अधिकार है। इसमें केवल जुर्माने का प्रावधान है। इसलिए ज्यादातर मामलों में झोलाछाप डाक्टर केवल जुर्माना देकर छूट जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रशासन की मदद से झोलाछाप डाक्टरों पर एफआईआर जैसी सख्त कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे में लापरवाही बरतने वाले झोलाछाप को जेल की सजा तक हो सकती है। इस तरह की कठोर कार्रवाई पूरे साल में इक्का दुक्का ही होती है। इसलिए इनके हौसले बुलंद हैं। झोलाछाप के पास लाइसेंस नहीं होता है। ऐसे में लाइसेंस रद्द करने जैसे दंड इनको दिए ही नहीं जा सकते। जालसाजी या फर्जीवाड़े के कानूनी केस के तहत कार्रवाई विभाग भी बचता है क्योंकि कानूनी प्रक्रिया में ज्यादातर अधिकारी उलझना नहीं चाहते हैं।

एफआईआर के निर्देश

झोलाछाप लोगों के कोई लाइसेंस नहीं होता है। इसलिए ऐसा कोई भी डाक्टर जिसके पास लाइसेंस नहीं है वह लोगों के साथ सीधे धोखाधड़ी कर रहा है। उसकी नीयत में खोट है। ऐसे लोगों पर एफआईआर जैसी सख्ती बरतने के लिए हर जिले के सीएमएचओ को कोरोना के दौरान निर्देशित किया गया है। हर कार्रवाई का फॉलोअप लिया जा रहा है। -डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव, संभागीय डायरेक्टर, स्वास्थ्य सेवाएं

गांव में सुविधाएं बढ़ाएं

ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं का इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की जरूरत है, बहुत से डाक्टर ग्रामीण इलाकों में इसलिए जाना नहीं चाहते क्योंकि वहां इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है। गांव में स्वास्थ्य सेवाओं में क्वालिटी सुधारकर लोगों को झोलाछाप डाक्टरों से बचाया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग को दिखावे की कार्रवाई न करते हुए ऐसे लोगों पर कानूनी कार्रवाई करनी होगी।-डॉ. विकास अग्रवाल, अध्यक्ष, आईएमए, रायपुर

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