फिर एक बार महंगाई की मार… जनता कह रही बस करो सरकार.. खाद्य तेलों में हो सकती है बढ़ोतरी, जानिए पूरी खबर…

दिवाली, धनतेरस जैसे त्‍योहारों की तैयारी में लगे ग्राहकों को जल्‍द महंगाई का एक और झटका लग सकता है. घरेलू किसानों की भलाई के लिए सरकार पाम तेल पर आयात शुल्‍क बढ़ाने की तैयारी में है. इसके बाद खाने के तेल के दाम बढ़ सकते हैं. सरकार ने हाल में ही आयात शुल्‍क में कटौती कर खाद्य तेल की कीमतों को नीचे लाने की कोशिश की थी, लेकिन घरेलू बाजार के बदले समीकरणों को देखते हुए एक बार फिर आयात शुल्‍क में बढ़ोतरी की जा सकती है

सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि घरेलू बाजार में तिलहन की कीमतों पर दबाव है और देश के लाखों किसानों को इससे नुकसान उठाना पड़ सकता है. व्‍यापारी सीमा पार से सस्‍ती कीमत पर तेल आयात कर रहे हैं, जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्‍य नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में किसानों के हितों की रक्षा के लिए सरकार सीमा पार से आयात किए जाने वाले पाम तेल पर टैक्‍स बढ़ाने का कदम उठा सकती है, ताकि व्‍यापारी आयात करने के बजाए घरेलू किसानों से तिलहन की खरीद बढ़ाएं और किसानों को उचित कीमत मिल सके.

गौरतलब है कि साल की शुरुआत में सरकार ने कच्‍चे पाम तेल की कीमतों पर लगाम कसने के लिए बेसिक इम्‍पोर्ट टैक्‍स में कटौती की थी. हालांकि, इस पर एग्रीकल्‍चर इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर एंड डेवलपमेंट सेस के रूप में 5 फीसदी टैक्‍स वसूला जा रहा था.

क्‍या मिला है सरकार को प्रस्‍ताव

मामले से जुड़े सरकारी सूत्रों ने बताया कि हमें रिफाइंड, ब्‍लीच्‍ड और डियोडराइज्‍ड (RBD) पाम तेल पर आयात शुल्‍क दोबारा लगाने का प्रस्‍ताव मिला है, जो पहले 12.5 फीसदी था. हम इस पर कोई भी फैसला लेने से पहले उपभोक्‍ताओं और किसानों दोनों के हितों की समीक्षा करेंगे. एक अन्‍य सरकारी सूत्र ने कहा कि हमें उद्योगों की ओर से भी आयात टैक्‍स बढ़ाने का प्रस्‍ताव मिला है. उनका कहना है कि तिलहन की गिरती कीमतों को थामने के लिए आयात पर लगाम कसना बहुत जरूरी है.

सोयाबीन और मूंगफली के दाम गिरे

सल्‍वेंट एक्‍सट्रैक्‍टर एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में घरेलू बाजार में सोयाबीन और मूंगफली की कीमतों में बड़ी गिरावट आई है. आलम ये है कि देश के कुछ हिस्‍सों में नई फसल एमएसपी से भी कम कीमत पर बिक रही है. गुजरात देश में मूंगफली का सबसे बड़ा उत्‍पादक राज्‍य है और यहां होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए जल्‍द किसानों के हित में आयात शुल्‍क बढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है

कितना बढ़ जाएगा टैक्‍स

मेहता ने बताया कि क्रूड पाम ऑयल और आरबीडी पर आयात टैक्‍स कम से कम 10 फीसदी बढ़ाया जाना चाहिए. इससे घेरलू बाजार में तिलहन की गिरती कीमतों को थामा जा सकता है. इसके अलावा सीपीओ और आरबीडी के बीच शुल्‍क का अंतर भी 12-13 फीसदी का होना चाहिए, ताकि घरेलू रिफाइनरियों को भी प्रोत्‍साहित किया जा सके. भारत फिलहाल अपनी जरूरत का 70 फीसदी खाद्य तेल आयात करता है, जिसमें सबसे ज्‍यादा आयात मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्राजील, अर्जेंटीना, रूस और यूक्रेन से होता है. देश में खपत होने वाले कुल खाद्य तेल में अकेले पाम की हिस्‍सेदारी 66 फीसदी के करीब है.

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