गौठान बना कब्रगाह ! भूख-प्यास से 37 मवेशियों की मौत से मचा हड़कंप, लाखों खर्च होने के बाद भी नहीं थी कोई व्यवस्था, जवाबदारी छोड़ आरोप- प्रत्यारोप में लगे सरपंच-सचिव, अब सवालों के घेरे में जिम्मेदार…

जांजगीर-चांपा।। जिला के चंगोरी गांव के गौठान में 37 मवेशियों के मौत के मामले में पशु चिकित्सा विभाग के 3 चिकित्सकों ने मवेशियों का पोस्टमार्टम किया. प्रारंभिक तौर पर मवेशियों की मौत का कारण जहर से होने की आशंका जताई जा रही है. वहीं चिकित्सा विभाग के अधिकारी मवेशियों का विसरा (किडनी, लीवर, दिल, पेट के अंगों का सैंपल फॉरेंसिक जांच के लिए रायपुर भेजने की तैयारी में हैं।

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ड्रीम प्रोजेक्ट नरवा, गरवा, घुरवा, बारी योजना में बड़ी लापरवाही सामने आई है. अकलतरा विकासखंड के चंगोरी गांव स्थित गौठान में एक साथ 37 मवेशियों की मौत हो गई है. जिसके बाद जिला प्रशासन ने आनन-फानन में जांच के निर्देश दिए और मवेशियों की मौत का कारण जानने के लिए तीन पशु चिकित्सकों की नियुक्ति की. पशु चिकित्सकों के साथ पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और मवेशियों का 3 घंटे में पोस्टमार्टम किया. जिसके बाद गौठान में ही उनको दफन किया गया।

जहर खाने से मौत की आशंका

मामले में पशु चिकित्सक ने बताया कि पोस्टमार्टम कर विसरा इकट्ठा किया गया है. मौत के वास्तविक कारण का खुलासा फोरेंसिक जांच के बाद ही हो पायेगा. शॉर्ट पीएम रिपोर्ट में जहर से मौत होने की आशंका जताई गई है. वहीं पुलिस ने इस मामले में पीएम रिपोर्ट के बाद अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का दावा किया है।

जिम्मेदारी छोड़ आरोप-प्रत्यारोप में लगे सरपंच- सचिव

इधर चंगोरी गांव के सरपंच और सचिव एक दूसरे पर आरोप मढ़ते नजर आए. सचिव का कहना है कि चुनाव से पहले सरपंच को गौठान की चाबी सौंप दी गई थी. धान कटाई के बाद सभी मवेशियों को गौठान से बाहर कर दिया गया था. लेकिन अभी मवेशी सरपंच ने रखा है और मवेशियों के चारा पानी के इंतजाम के लिए तीन कर्मचारियों को नियुक्त किया गया था. वहीं सरपंच ने मवेशियों के गौठान में आने से अनभिज्ञता जताई और बड़े षड्यंत्र होने का आरोप लगाया. इस मामले में गौ सेवक बजरंग दल ने सरपंच और सचिव को मवेशियों की मौत के लिए जिम्मेदार बताया. साथ ही दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

बताया जा रहा है कि गौठान को बनाने में 11 लाख रुपये खर्च हुए थे. फिर भी यहां मवेशियों के लिए शेड की व्यवस्था नहीं थी. पानी के लिए लगाए गए सोलर पंप भी खराब थे. एक साल से गौठान अव्यवस्थित पड़ा हुआ था. हालांकि

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