रामचरितमानस विवाद: गुस्से में अयोध्या के साधु-संत, शिक्षा मंत्री का जीभ काटने पर 10 करोड़ का इनाम…
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा रामचरित मानस पर विवादित बयान को लेकर अयोध्या के साधु संतों ने गहरी नाराजगी जताई है. बिहार के शिक्षा मंत्री ने यह दावा करते हुए विवाद खड़ा कर दिया है कि हिंदुओ की धार्मिक पुस्तक रामचरित मानस निचली जातियों के खिलाफ नफरत फैलाती है, इसलिए उसे मनुस्मृति की तरह जलाया जाना चाहिए।
पटना में नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के 15वें दीक्षांत समारोह के दौरान बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने दावा किया कि तुलसीदास की मनुस्मृति, रामचरित मानस और माधव सदाशिवराव गोलवलकर की बच ऑफ थॉट्स जैसी किताबों ने देश में 85% आबादी को पिछड़े रखने की दिशा में काम किया है, हिंदू ग्रंथ रामचरितमानस को मनुस्मृति की तरह जलाया जाना चाहिए, क्योंकि यह समाज में जाति विभाजन को बढ़ावा देता है।
इसी को लेकर अयोध्या के संतों में खासा आक्रोश है. जगतगुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि अगर एक हफ्ते में वह (शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर) क्षमा नहीं मांगते हैं तो मैं 10 करोड़ का इनाम दूंगा जो उनकी जीवा काट कर लेकर आएगा, किसी दूसरे के धर्म के विषय में बोल कर देख लें, अगर दूसरे धर्म के लिए टिप्पणी किए होते तो उनका जीवा नहीं अब तक गर्दन कट गया होता लेकिन अगर वह क्षमा नहीं मांगते हैं तो उनकी जीवा मैं कटवा लूंगा।
वही संत मानस दास आचार्य ने कहा कि रामचरितमानस जिसको लक्ष्य मान करके लिखा गया, वह राम थे… राम अपने जीवन में वनवास गए, निषाद के यहां पर रुके, केवट की नाव पर बैठे, शबरी के झूठे बेर खाए हैं, राम जी के संबंध में रामचरितमानस लिखा गया है, जिसका नायक ही वेद बुद्धि हो, उस ग्रंथ को कैसे जलाया जाएगा, चंद्रशेखर को जला देना चाहिए, उनकी जीवा जलकर गिर जाए या कट जाए।
वहीं खाकी चौक के महंत पुरुषोत्तम दास ने कहा कि मूर्ख शिक्षा मंत्री को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए. जबकि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के महंत आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि ऐसे शिक्षा मंत्री को तत्काल हटाया जाना चाहिए और चुनाव आयोग इनके आगे चुनाव लड़ने पर हमेशा के लिए रोक लगाएं, यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे मूर्ख लोग शिक्षा मंत्री बन जाते हैं और उटपटांग भाषा बोलते हैं।